प्यास वो दिल कीप्यास वो दिल की..प्यास वो दिल की बुझाने कभी आया भी नहींकैसा बादल है जिसका कोई साया भी नहींबेरुख़ी इस से बड़ी और भला क्या होगीएक मुद्दत से हमें उस ने सताया भी नहींरोज़ आता है दर-ए-दिल पे वो दस्तक देनेआज तक हमने जिसे पास बुलाया भी नहींसुन लिया कैसे ख़ुदा जाने ज़माने भर नेवो फ़साना जो कभी हमने सुनाया भी नहींतुम तो शायर हो क़तील और वो इक आम सा शख़्सउस ने चाहा भी तुझे और जताया भी नहीं
प्यास वो दिल कीप्यास वो दिल की..प्यास वो दिल की बुझाने कभी आया भी नहींकैसा बादल है जिसका कोई साया भी नहींबेरुख़ी इस से बड़ी और भला क्या होगीएक मुद्दत से हमें उस ने सताया भी नहींरोज़ आता है दर-ए-दिल पे वो दस्तक देनेआज तक हमने जिसे पास बुलाया भी नहींसुन लिया कैसे ख़ुदा जाने ज़माने भर नेवो फ़साना जो कभी हमने सुनाया भी नहींतुम तो शायर हो क़तील और वो इक आम सा शख़्सउस ने चाहा भी तुझे और जताया भी नहीं
प्यास वो दिल कीप्यास वो दिल की..प्यास वो दिल की बुझाने कभी आया भी नहींकैसा बादल है जिसका कोई साया भी नहींबेरुख़ी इससे बड़ी और भला क्या होगीएक मुद्दत से हमें उस ने सताया भी नहींरोज़ आता है दर-ए-दिल पे वो दस्तक देनेआज तक हमने जिसे पास बुलाया भी नहींसुन लिया कैसे ख़ुदा जाने ज़माने भर ने.वो फ़साना जो कभी हमने सुनाया भी नहींतुम तो शायर हो "क़तील" और वो इक आम सा शख़्स.उसने चाहा भी तुझे और जताया भी नहीं
रहने को सदारहने को सदा...रहने को सदा दहर में आता नहीं कोईतुम जैसे गए ऐसे भी जाता नहीं कोई;एक बार तो खुद मौत भी घबरा गयी होगी;यूँ मौत को सीने से लगाता नहीं कोई;डरता हूँ कहीं खुश्क़ न हो जाए समुन्दर;राख अपनी कभी आप बहाता नहीं कोई;साक़ी से गिला था तुम्हें मैख़ाने से शिकवा;अब ज़हर से भी प्यास बुझाता नहीं कोई;माना कि उजालों ने तुम्हे दाग़ दिए थे;बे-रात ढले शम्मा बुझाता नहीं कोई
प्यास वो दिल की बुझाने कभी आया भी नहींप्यास वो दिल की बुझाने कभी आया भी नहींकैसा बादल है जिसका कोई साया भी नहींबेरुख़ी इससे बड़ी और भला क्या होगीएक मुद्दत से हमें उस ने सताया भी नहीं