बहुत पानी बरसता हैबहुत पानी बरसता है..बहुत पानी बरसता है तो मिट्टी बैठ जाती हैन रोया कर बहुत रोने से छाती बैठ जाती हैयही मौसम था जब नंगे बदन छत पर टहलते थेयही मौसम हैं अब सीने में सर्दी बैठ जाती हैचलो माना कि शहनाई मोहब्बत की निशानी हैमगर वो शख़्स जिसकी आ के बेटी बैठ जाती हैबढ़े बूढ़े कुएँ में नेकियाँ क्यों फेंक आते हैंकुएँ में छुप के क्यों आख़िर ये नेकी बैठ जाती हैनक़ाब उलटे हुए गुलशन से वो जब भी गुज़रता हैसमझ के फूल उसके लब पे तितली बैठ जाती है..
पानी आने की बात करते होपानी आने की बात करते होदिल जलाने की बात करते होचार दिन से मुंह नहीं धोयातुम नहाने की बात करते हो
पानी में विस्की मिलाओ तो नशा चढ़ता हैपानी में विस्की मिलाओ तो नशा चढ़ता हैपानी में रम मिलाओ तो नशा चढ़ता हैपानी में ब्रेंड़ी मिलाओ तो नशा चढ़ता हैसाला पानी में ही कुछ गड़बड़ है
प्यासे को इक कतरा पानी ही काफी हैप्यासे को इक कतरा पानी ही काफी हैइश्क में चार पल की जिंदगानी ही काफी हैहम डूबने को समँदर में भला जाए क्योउनकी पलको से टपका वो आंसू ही काफी है
पानी फेर दो इन पन्नों पर ताकि धुल जाए स्याही सारीपानी फेर दो इन पन्नों पर ताकि धुल जाए स्याही सारीज़िन्दगी फिर से लिखने का मन होता है कभी-कभी
काग़ज़ की कश्ती थी पानी का किनारा थाकाग़ज़ की कश्ती थी पानी का किनारा थाखेलने की मस्ती थी ये दिल अवारा थाकहाँ आ गए इस समझदारी के दलदल मेंवो नादान बचपन भी कितना प्यारा था