मुझ से पहली सी मोहब्बतमुझ से पहली सी मोहब्बत..मुझ से पहली सी मोहब्बत मेरे महबूब न माँगमैंने समझा था कि तू है तो दरख़्शाँ है हयाततेरा ग़म है तो ग़म-ए-दहर का झगड़ा क्या हैतेरी सूरत से है आलम में बहारों को सबाततेरी आँखों के सिवा दुनिया में रक्खा क्या हैतेरी आँखों के सिवा दुनिया में रक्खा क्या हैतू जो मिल जाये तो तक़दीर निगूँ हो जायेयूँ न था मैं ने फ़क़त चाहा था यूँ हो जायेऔर भी दुःख हैं ज़माने में मोहब्बत के सिवाराहतें और भी हैं वस्ल की राहत के सिवा
मोहब्बत तो वो बारिश हैमोहब्बत तो वो बारिश है, जिसे छूने की चाहत मेंहथेलियां तो गीली हो जाती हैं, पर हाथ खाली ही रह जाते हैं
हम ख़ास तो नहीं मगर बारिश की उन कतरों की तरह अनमोल हैंहम ख़ास तो नहीं मगर बारिश की उन कतरों की तरह अनमोल हैंजो मिट्टी में समां जायें तो फिर कभी नहीं मिला करते
मोहब्बत तो वो बारिश हैमोहब्बत तो वो बारिश है, जिसे छूने की चाहत मेंहथेलियां तो गीली हो जाती हैं, पर हाथ खाली ही रह जाते हैं