अभी इस तरफ़ न निगाह करअभी इस तरफ़ न निगाह कर..अभी इस तरफ़ न निगाह कर मैं ग़ज़ल की पलकें सँवार लूँमेरा लफ़्ज़-लफ़्ज़ हो आईना तुझे आईने में उतार लूँमैं तमाम दिन का थका हुआ, तू तमाम शब का जगा हुआज़रा ठहर जा इसी मोड़ पर, तेरे साथ शाम गुज़ार लूँअगर आसमाँ की नुमाइशों में मुझे भी इज़्न-ए-क़याम होतो मैं मोतियों की दुकान से तेरी बालियाँ तेरे हार लूँकई अजनबी तेरी राह के मेरे पास से यूँ गुज़र गयेजिन्हें देख कर ये तड़प हुई तेरा नाम लेके पुकार लूँ
ये किसका ढलक गया है आंचलये किसका ढलक गया है आंचलतारों की निगाह झुक गई हैये किस की मचल गई हैं ज़ुल्फ़ेंजाती हुई रात रुक गई है
आप को देख कर यह निगाह रुक जाएगीआप को देख कर यह निगाह रुक जाएगीख़ामोशी अब हर बात कह जाएगीपढ़ लो अब इन आँखों में अपनी मोहब्बतकसम से सारी कायनात इसे सुनने को थम जाएगी
बोसा देते नहीं और दिल पे है हर लहज़ा निगाहबोसा देते नहीं और दिल पे है हर लहज़ा निगाहजी में कहते हैं कि मुफ़्त आए तो माल अच्छा है