जो मेरा दोस्त भी हैजो मेरा दोस्त भी है..जो मेरा दोस्त भी है, मेरा हमनवा भी हैवो शख्स, सिर्फ भला ही नहीं, बुरा भी हैमैं पूजता हूँ जिसे, उससे बेनियाज़ भी हूँमेरी नज़र में वो पत्थर भी है खुदा भी हैसवाल नींद का होता तो कोई बात ना थीहमारे सामने ख्वाबों का मसला भी हैजवाब दे ना सका, और बन गया दुश्मनसवाल था, के तेरे घर में आईना भी हैज़रूर वो मेरे बारे में राय दे लेकिनये पूछ लेना कभी मुझसे वो मिला भी है
किस को क़ातिल मैं कहूँकिस को क़ातिल मैं कहूँ..किस को क़ातिल मैं कहूँ किस को मसीहा समझूँसब यहाँ दोस्त ही बैठे हैं किसे क्या समझूवो भी क्या दिन थे कि हर वहम यकीं होता थाअब हक़ीक़त नज़र आए तो उसे क्या समझूँदिल जो टूटा तो कई हाथ दुआ को उठेऐसे माहौल में अब किस को पराया समझूँज़ुल्म ये है कि है यक्ता तेरी बेगानारवीलुत्फ़ ये है कि मैं अब तक तुझे अपना समझूँ