दोस्त बनकर भी नहींदोस्त बनकर भी नहीं..दोस्त बनकर भी नहीं साथ निभाने वालावो ही अंदाज़ है ज़ालिम का ज़माने वालाक्या कहें कितने मरासिम थे हमारे उससेवो जो इक शख़्स है मुँह फेर के जाने वालाक्या ख़बर थी जो मेरी जाँ में घुला रहता हैहै वही मुझको सर-ए-दार भी लाने वालामैंने देखा है बहारों में चमन को जलतेहै कोई ख़्वाब की ताबीर बताने वालातुम तक़ल्लुफ़ को भी इख़लास समझते हो 'फ़राज़'दोस्त होता नहीं हर हाथ मिलाने वाला
मेरे दोस्त तुम भी लिखा करो शायरीमेरे दोस्त तुम भी लिखा करो शायरी;तुम्हारा भी मेरी तरह नाम हो जाएगा;जब तुम पर भी पड़ेंगे अंडे और टमाटर;तो शाम की सब्जी का इंतज़ाम हो जाएगा
ऐ दोस्त बांध ले कफन मे व्हिस्की की बोतलऐ दोस्त बांध ले कफन मे व्हिस्की की बोतल, कब्र मेँ बैठकर पिया करेगेइन लङकियो से तो मिली बेवफाई, अब चुड़ैलों से सेटिंग किया करेंगे
जब तक न लगे बेवफ़ाई की ठोकर दोस्तजब तक न लगे बेवफ़ाई की ठोकर दोस्तहर किसी को अपनी पसंद पर नाज़ होता है
तुमको समझाता हूँ इसलिए ए दोस्ततुमको समझाता हूँ इसलिए ए दोस्तक्योंकि सबको ही आज़मा चुका हूँ मैंकहीं तुमको भी पछताना ना पड़े यहाँकई हसीनों से धोखा खा चुका हूँ मैं