रुतबा तो खामोशियों का होता हैरुतबा तो खामोशियों का होता हैअल्फ़ाज़ का क्या वह तो मुकर जाते हैं हालात देखकर
ज़ायां ना कर अपने अल्फाज किसी के लिएज़ायां ना कर अपने अल्फाज किसी के लिएखामोश रह कर देख तुझे समझता कौन है
लफ़्ज़ों के इत्तेफाक़ मेंलफ़्ज़ों के इत्तेफाक़ में, यूँ बदलाव करके देखतू देख कर न मुस्कुरा, बस मुस्कुरा के देख
हम ने सीने से लगाया दिल न अपना बन सकाहम ने सीने से लगाया दिल न अपना बन सकामुस्कुरा कर तुम ने देखा दिल तुम्हारा हो गया
मत पूछ मेरे सब्र की इन्तेहा कहाँ तक हैमत पूछ मेरे सब्र की इन्तेहा कहाँ तक हैतु सितम कर ले, तेरी ताक़त जहाँ तक हैव़फा की उम्मीद जिन्हें होगी, उन्हें होगीहमें तो देखना है, तू ज़ालिम कहाँ तक है
हमें देख कर जब उसने मुँह मोड लियाहमें देख कर जब उसने मुँह मोड लियाएक तसल्ली सी हो गयी कि चलो पहचानती तो है