तलब उठती है बार-बार तेरे दीदार कीतलब उठती है बार-बार तेरे दीदार कीना जाने देखते देखते कब तुम लत बन गए
बैठ कर किनारे पर मेरा दीदार ना करबैठ कर किनारे पर मेरा दीदार ना करमुझको समझना है तो समन्दर में उतर के देख
दिल ने आज फिर तेरे दीदार की ख्वाहिश रखी हैदिल ने आज फिर तेरे दीदार की ख्वाहिश रखी हैअगर फुरसत मिले तो ख्वाबों मे आ जाना