आरज़ू यह नहीं कि ग़म का तूफ़ान टल जायेआरज़ू यह नहीं कि ग़म का तूफ़ान टल जायेफ़िक्र तो यह है कि कहीं आपका दिल न बदल जायेकभी मुझको अगर भुलाना चाहो तोदर्द इतना देना कि मेरा दम निकल जाये
बिछड़ के तुम से ज़िन्दगी सजा लगती हैबिछड़ के तुम से ज़िन्दगी सजा लगती हैयह साँस भी जैसे मुझ से खफा लगती हैतड़प उठते हैं दर्द के मारेज़ख्मों को मेरे जब तेरे दीदार की हवा लगती है
तेरे इश्क की दुनिया में हर कोई मजबूर हैतेरे इश्क की दुनिया में हर कोई मजबूर हैपल में हँसी पल में आँसू ये चाहत का दस्तूर हैजिसे मिली न मोहब्बत उसके ज़ख्मो का कोई हिसाब नहींये मोहब्बत पाने वाला भी दर्द से कहाँ दूर है
मोहब्बत कितनी भी सच्ची क्यों ना होमोहब्बत कितनी भी सच्ची क्यों ना होएक ना एक दिन तो आंसू और दर्द ज़रूर देती है।
ज़रा सी ज़िंदगी हैज़रा सी ज़िंदगी है, अरमान बहुत हैंहमदर्द नहीं कोई, इंसान बहुत हैंदिल के दर्द सुनाएं तो किसकोजो दिल के करीब है, वो अनजान बहुत हैं
मोहब्बत का मेरा यह सफर आख़िरी हैमोहब्बत का मेरा यह सफर आख़िरी हैये कागज, ये कलम, ये गजल आख़िरी हैफिर ना मिलेंगे अब तुमसे हम कभीक्योंकि तेरे दर्द का अब ये सितम आख़िरी है