बहुत दर्द हैं ऐ जान-ए-अदा तेरी मोहब्बत मेंबहुत दर्द हैं ऐ जान-ए-अदा तेरी मोहब्बत मेंकैसे कह दूँ कि तुझे वफ़ा निभानी नहीं आती
निकले हम कहाँ से और किधर निकलेनिकले हम कहाँ से और किधर निकलेहर मोड़ पे चौंकाए ऐसा अपना सफ़र निकलेतूने समझाया क्या रो-रो के अपनी बाततेरे हमदर्द भी लेकिन बड़े बे-असर निकले
दर्द-ए-दिल कम ना होगा ऐ सनमदर्द-ए-दिल कम ना होगा ऐ सनमआपकी महफ़िल से जाने के बादनाम बदनाम हमारा होगाआपकी ज़िन्दगी से जाने के बाद
आरज़ू यह नहीं कि ग़म का तूफ़ान टल जायेआरज़ू यह नहीं कि ग़म का तूफ़ान टल जायेफ़िक्र तो यह है कि कहीं आपका दिल न बदल जायेकभी मुझको अगर भुलाना चाहो तोदर्द इतना देना कि मेरा दम निकल जाये