छोटी सी ज़िन्दगी में अरमान बहुत थेछोटी सी ज़िन्दगी में अरमान बहुत थेहमदर्द कोई न था इंसान बहुत थेमैं अपना दर्द बताता भी तो किसे बतातामेरे दिल का हाल जानने वाले अनजान बहुत थे
बिछड़ के तुम से ज़िन्दगी सज़ा लगती हैबिछड़ के तुम से ज़िन्दगी सज़ा लगती हैयह साँस भी जैसे मुझ से ख़फ़ा लगती हैतड़प उठता हूँ दर्द के मारे मैंज़ख्मो को मेरे जब तेरे शहर की हवा लगती है
कहाँ माँग ली थी कायनात मैंनेकहाँ माँग ली थी कायनात मैंने, जो इतना दर्द मिलाज़िन्दगी में पहली बार खुदा तुझसे ज़िन्दगी ही तो मांगी थी