दर्द सहने की इतनी आदत सी हो गई हैदर्द सहने की इतनी आदत सी हो गई हैकि अब दर्द ना मिले तो बहुत दर्द होता है
इस जहान में कब किसी का दर्द अपनाते हैं लोगइस जहान में कब किसी का दर्द अपनाते हैं लोगरुख हवा का देखकर अक्सर बदल जाते हैं लोग
और भी बनती लकीरें दर्द की शायद कईऔर भी बनती लकीरें दर्द की शायद कईशुक्र है तेरा खुदा जो हाथ छोटा सा दियातूने जो बख्शी हमें बस चार दिन की ज़िंदगीया ख़ुदा अच्छा किया जो साथ छोटा सा दिया
इसे इत्तेफाक समझो या दर्द भरी हकीकतइसे इत्तेफाक समझो या दर्द भरी हकीकतआँख जब भी नम हुई वजह कोई अपना ही था