अगर तलाश करूँअगर तलाश करूँ..अगर तलाश करूँ कोई मिल ही जायेगामगर तुम्हारी तरह कौन मुझे चाहेगातुम्हें ज़रूर कोई चाहतों से देखेगामगर वो आँखें हमारी कहाँ से लायेगाना जाने कब तेरे दिल पर नई सी दस्तक होमकान ख़ाली हुआ है तो कोई आयेगामैं अपनी राह में दीवार बन के बैठा हूँअगर वो आया तो किस रास्ते से आयेगातुम्हारे साथ ये मौसम फ़रिश्तों जैसा हैतुम्हारे बाद ये मौसम बहुत सतायेगा
अज़ाब ये भी किसीअज़ाब ये भी किसी..अज़ाब ये भी किसी और पर नहीं आयाकि एक उम्र चले और घर नहीं आयाइस एक ख़्वाब की हसरत में जल बुझीं आँखेंवो एक ख़्वाब कि अब तक नज़र नहीं आयाकरें तो किस से करें ना-रसाइयों का गिलासफ़र तमाम हुआ हम-सफ़र नहीं आयादिलों की बात बदन की ज़बाँ से कह देतेये चाहते थे मगर दिल इधर नहीं आयाअजीब ही था मेरे दौर-ए-गुमरही का रफ़ीक़बिछड़ गया तो कभी लौट कर नहीं आयाहरीम-ए-लफ़्ज़-ओ-मआनी से निस्बतें भी रहींमगर सलीक़ा-ए-अर्ज़-ए-हुनर नहीं आया
तू इस क़दर मुझेतू इस क़दर मुझे..तू इस क़दर मुझे अपने क़रीब लगता हैतुझे अलग से जो सोचू अजीब लगता हैजिसे ना हुस्न से मतलब ना इश्क़ से सरोकारवो शख्स मुझ को बहुत बदनसीब लगता हैहदूद-ए-जात से बाहर निकल के देख ज़राना कोई गैर, ना कोई रक़ीब लगता हैये दोस्ती, ये मरासिम, ये चाहते ये खुलूसकभी कभी ये सब कुछ अजीब लगता हैउफक़ पे दूर चमकता हुआ कोई तारामुझे चिराग-ए-दयार-ए-हबीब लगता हैना जाने कब कोई तूफान आयेगा यारोबलंद मौज से साहिल क़रीब लगता है
तू इस क़दर मुझे अपने क़रीब लगता हैतू इस क़दर मुझे अपने क़रीब लगता हैतुझे अलग से जो सोचू अजीब लगता हैजिसे ना हुस्न से मतलब ना इश्क़ से सरोकारवो शख्स मुझ को बहुत बदनसीब लगता हैहदूद-ए-जात से बाहर निकल के देख ज़राना कोई गैर, ना कोई रक़ीब लगता हैये दोस्ती, ये मरासिम, ये चाहते ये खुलूसकभी कभी ये सब कुछ अजीब लगता हैउफक़ पे दूर चमकता हुआ कोई तारामुझे चिराग-ए-दयार-ए-हबीब लगता हैना जाने कब कोई तूफान आयेगा यारोबलंद मौज से साहिल क़रीब लगता है
तू इस क़दर मुझेतू इस क़दर मुझे..तू इस क़दर मुझे अपने क़रीब लगता हैतुझे अलग से जो सोचू अजीब लगता हैजिसे ना हुस्न से मतलब ना इश्क़ से सरोकारवो शख्स मुझ को बहुत बदनसीब लगता हैहदूद-ए-जात से बाहर निकल के देख ज़राना कोई गैर, ना कोई रक़ीब लगता हैये दोस्ती, ये मरासिम, ये चाहते ये खुलूसकभी कभी ये सब कुछ अजीब लगता हैउफक़ पे दूर चमकता हुआ कोई तारामुझे चिराग-ए-दयार-ए-हबीब लगता हैना जाने कब कोई तूफान आयेगा यारोबलंद मौज से साहिल क़रीब लगता है