काश कि तु चाँद और मैं सितारा होताकाश कि तु चाँद और मैं सितारा होताआसमान में एक आशियाना हमारा होतालोग तुम्हे दूर से देखतेनज़दीक़ से देखने का हक़ बस हमारा होता
चाँद निकलेगा तो दुआ मांगेंगेचाँद निकलेगा तो दुआ मांगेंगेअपने हिस्से में मुकदर का लिखा मांगेंगेहम तलबगार नहीं दुनिया और दौलत केहम रब से सिर्फ आपकी वफ़ा मांगेंगे
आपके दीदार को निकल आये हैं तारेआपके दीदार को निकल आये हैं तारेआपकी खुशबु से छा गई हैं बहारेंआपके साथ दिखते हैं कुछ ऐसे नज़ारेकि चुप-चुप के चाँद भी बस आप ही को निहारे
जो नजर से गुजर जाया करते हैंजो नजर से गुजर जाया करते हैंवो सितारे अक्सर टूट जाया करते हैंकुछ लोग दर्द को बयां नहीं होने देतेबस चुपचाप बिखर जाया करते हैं
फलक से चाँद उतारा गयाफलक से चाँद उतारा गयामेरी आस का एक सहारा गयामैं दो बूँद पानी तरसती रहीमेरे होंठों से ज़हर गुज़ारा गया
रात क्या ढली सितारे चले गएरात क्या ढली सितारे चले गएगैरों से क्या शिकायत जब हमारे चले गएजीत सकते थे हम भी इश्क़ की बाज़ीपर उनको जिताने की धुन में हम हारे चले गए