मर्ज़ी से जीने की बस ख्वाहिश की थी मैंनेमर्ज़ी से जीने की बस ख्वाहिश की थी मैंनेऔर वो कहते हैं कि खुदगर्ज़ बन गए हो तुम
याद रूकती नहीं रोक पाने सेयाद रूकती नहीं रोक पाने सेदिल मानता नहीं किसी के समझाने सेरुक जाती हैं धड़कनें आपके भूल जाने सेइसलिए आपको याद करते हैं जीने के बहाने से
ये जो चंद फुर्सत के लम्हे मिलते हैं जीने के लिएये जो चंद फुर्सत के लम्हे मिलते हैं जीने के लिएमैं उन्हें भी तुम्हे सोचते हुए ही खर्च कर देता हूँ
याद रूकती नहीं रोक पाने सेयाद रूकती नहीं रोक पाने सेदिल मानता नहीं किसी के समझाने सेरुक जाती हैं धड़कनें आपको भूल जाने सेइसलिए आपको याद करते हैं जीने के बहाने से
जब भी तन्हाई में उनके बगैर जीने की बात आयीजब भी तन्हाई में उनके बगैर जीने की बात आयीउनसे हुई हर एक मुलाकात मेरी यादों में दौड आई