परछाइयों के शहर की तन्हाईयाँ ना पूछपरछाइयों के शहर की तन्हाईयाँ ना पूछअपना शरीक-ए-ग़म कोई अपने सिवा ना था
किसी ने हमें रुलाया तो क्या बुरा कियाकिसी ने हमें रुलाया तो क्या बुरा किया;दिल को दुखाया तो क्या बुरा किया;हम तो पहले से ही तन्हा थेकिसी ने एहसास दिलाया तो क्या बुरा किया
ज़िक्र उनका ही आता है मेरे फ़साने मेंज़िक्र उनका ही आता है मेरे फ़साने मेंजिनको जान से ज्यदा चाहते थे हम किसी ज़माने मेंतन्हाई में उनकी ही याद का सहारा मिलाजिनको नाकाम रहे हम भुलानें में