अनजान सी राहों पर चलने का तजुर्बा नहीं थाअनजान सी राहों पर चलने का तजुर्बा नहीं था,पर उस राह ने मुझे एक हुनरमंद राही बना दिया
तजुर्बा एक ही काफी था बयान करने के लिएतजुर्बा एक ही काफी था बयान करने के लिएमैंने देखा ही नहीं इश्क़ दोबारा करके