किसी को ये सोचकर साथ मत छोड़ना की उसके पास कुछ नहीं तुम्हे देने के लिएकिसी को ये सोचकर साथ मत छोड़ना की उसके पास कुछ नहीं तुम्हे देने के लिएबस ये सोचकर साथ निभाने की उसके पास कुछ नहीं है तुम्हारे सिवा खोने के लिए
तुम मिलो ना मिलो मिलने का गम नहींतुम मिलो ना मिलो मिलने का गम नहींतुम पास से निकल जाओ तो मिलने से कम नहींमाना कि तुम्हे कद्र नहीं हमारीपर उनसे पूछों जिन्हें हम हांसिल नहीं
तुम्हें ही कहाँ फ़ुरसत थीतुम्हें ही कहाँ फ़ुरसत थी, मेरे पास आने कीमैने तो बहुत इत्तला की, अपने गुज़र जाने की
मेरी गुफ्तुगू के हर अंदाज़ को समझता हैमेरी गुफ्तुगू के हर अंदाज़ को समझता हैएक वही है जो मुझ पे एतमाद रखता हैदूर होकर भी मुझसे वो है इतना क़रीबऐसा लगता है मेरे आस-पास रहता है