सर्द रातों को सताती है जुदाई तेरीसर्द रातों को सताती है जुदाई तेरीआग बुझाती नहीं सीने में लगायी तेरीतुम जो कहते थे बिछड़ कर मैं सुकून पा लूंगाफिर क्यों रोती है मेरे दर पर तन्हाई तेरी