रोने से और इश्क़ मेंरोने से और इश्क़ में..रोने से और् इश्क़ में बेबाक हो गएधोए गए हम ऐसे कि बस पाक हो गएसर्फ़-ए-बहा-ए-मै हुए आलात-ए-मैकशीथे ये ही दो हिसाब सो यों पाक हो गएरुसवा-ए-दहर गो हुए आवार्गी से तुमबारे तबीयतों के तो चालाक हो गएकहता है कौन नाला-ए-बुलबुल को बेअसरपर्दे में गुल के लाख जिगर चाक हो गएपूछे है क्या वजूद-ओ-अदम अहल-ए-शौक़ काआप अपनी आग से ख़स-ओ-ख़ाशाक हो गएकरने गये थे उस से तग़ाफ़ुल का हम गिलाकी एक् ही निगाह कि बस ख़ाक हो गएइस रंग से उठाई कल उस ने 'असद' की नाशदुश्मन भी जिस को देख के ग़मनाक हो गए
पत्थर के जिगर वालोंपत्थर के जिगर वालों...पत्थर के जिगर वालों गम में वो रवानी हैखुद राह बना लेगा बहता हुआ पानी हैफूलों में ग़ज़ल रखना ये रात की रानी हैउस में तेरी जुल्फों की बेतरतीब कहानी हैइक जहने परेशां में वो फूल सा चेहरा हैपत्थर की हिफाज़त में शीशे की जवानी हैक्यों चाँदनी रातों में दरिया पे नहाते होसोये हुए पानी में क्या आग लगानी हैइस हौसले दिल पर हम ने भी कफ़न पहनाहँस कर कोई पूछेगा क्या जान गंवानी हैरोने का असर दिल पर रह रह के बदलता हैआँसूं कभी शीशा है आँसूं कभी पानी है..
समुंदर बहा देने का जिगर तो रखते हैं लेकिनसमुंदर बहा देने का जिगर तो रखते हैं लेकिनहमें आशिकी की नुमाइश की आदत नहीं है दोस्त
ख़ंजर चले किसी पे तड़पते हैं हम 'अमीर'ख़ंजर चले किसी पे तड़पते हैं हम 'अमीर'सारे जहाँ का दर्द हमारे जिगर में है
कोई तीर जैसे जिगर के पार हुआ हैकोई तीर जैसे जिगर के पार हुआ हैजाने क्यों दिल इतना बेक़रार हुआ हैपहले कभी देखा न मैंने तुम्हेंफिर भी क्यों ऐ अजनबी इस कदर तुमसे प्यार हुआ है