उलझनों और कश्मकश में: उलझनों और कश्मकश मेंउलझनों और कश्मकश मेंउलझनों और कश्मकश में, उम्मीद की ढाल लिए बैठा हूँए जिंदगी तेरी हर चाल के लिए, मैं दो चाल लिए बैठा हूँलुत्फ़ उठा रहा हूँ मैं भी आँख - मिचोली कामिलेगी कामयाबी, हौसला कमाल का लिए बैठा हूँचल मान लिया दो-चार दिन नहीं मेरे मुताबिकगिरेबान में अपने, ये सुनहरा साल लिए बैठा हूँये गहराइयां, ये लहरें, ये तूफां, तुम्हे मुबारकमुझे क्या फ़िक्र मैं कश्तीया और दोस्त बेमिसाल लिए बैठा हूँ