तुमने यह फूलतुमने यह फूल..तुमने यह फूल जो ज़ुल्फ़ों में लगा रखा हैएक दीया है जो अंधेरे में जला रखा हैजीत ले जाये कोई मुझे नसीबों वालाज़िंदगी ने मुझे दाव् पे लगा रखा हैजाने कब आया कोई दिल में झांकने वालाइस लिए मैने गिरेबान को खुला रखा हैइम्तिहान और मेरी ज़ब्त का तुम क्या लोगेमैने धड़कन को भी सीने में छिपा रखा है।
सोच में उनकेसोच में उनके..सोच में उनके ईमान होतब तो कोई समाधान होकोई ज़रिया दिखाई तो देकोई मुश्किल तो आसान होहद है तेरे लिए ज़िंदगीकोई कितना परेशान होऔर कुछ हो ना हो आदमीआदमी एक इंसान होउसको फिर और क्या चाहिएदिल में जीने का अरमान हो
आज फिर दिल ने कहाआज फिर दिल ने कहा..आज फिर दिल ने कहा आओ भुला दे यादेंजिंदगी बीत गई और वही यादे-यादेंजिस तरह आज ही बिछड़े हो बिछड़ने वालेजेसे एक उम्र के दुःख याद दिला दे यादेंकाश मुमकिन हो कि इक कागजी कश्ती की तरहखुद फरामोशी के दरिया में बहा दे यादेंवो भी रुत आये कि ए-जुद-फरामोश मेरेफूल पते तेरी यादों में बिछा दे यादेंभूल जाना भी तो इक तरह की नेअमत है'फ़राज'वरना इंसान को पागल न बना दे यादें
इतना तो ज़िंदगी मेंइतना तो ज़िंदगी में..इतना तो ज़िंदगी में किसी की ख़लल पड़ेहँसने से हो सुकून ना रोने से कल पड़ेजिस तरह हँस रहा हूँ मैं पी-पी के अश्क-ए-ग़मयूँ दूसरा हँसे तो कलेजा निकल पड़ेएक तुम के तुम को फ़िक्र-ए-नशेब-ओ-फ़राज़ हैएक हम के चल पड़े तो बहरहाल चल पड़ेमुद्दत के बाद उस ने जो की लुत्फ़ की निगाहजी ख़ुश तो हो गया मगर आँसू निकल पड़ेसाक़ी सभी को है ग़म-ए-तश्नालबी मगरमय है उसी के नाम पे जिस के उबल पड़े
कैसे कहें कि आपके बिन यह ज़िंदगी कैसी हैकैसे कहें कि आपके बिन यह ज़िंदगी कैसी हैदिल को हर पल जलाती यह बेबसी कैसी हैन कुछ कह पाते हैं और न कुछ सह पाते हैंन जाने तक़दीर में लिखी यह आशिकी कैसी है
एक मुद्दत से मेरे हाल से बेगाना हैएक मुद्दत से मेरे हाल से बेगाना है;जाने ज़ालिम ने किस बात का बुरा माना है;मैं जो जिंदगी हूँ तो वो भी हैं अना का कैदी;मेरे कहने पर कहाँ उसने चले आना है।