जिंदगी ने कुछ इस तरह का रूख लियाजिंदगी ने कुछ इस तरह का रूख लियाजिसने जिस तरफ चाहा मोड़ दियाजिसको जितनी थी जरुरत साथ चलाऔर फिर एक लम्हें में तन्हा छोड़ दिया
जियो जिंदगी जरुरत के मुताबिकजियो जिंदगी जरुरत के मुताबिक;ख्वाइशों के मुताबिक नहीं;जरुरत फ़क़ीर भी कर लेता हैं पूरी;ख्वाइश कभी बादशाह की भी पूरी नहीं हुई।
जिंदगी ज़ख्मों से भरी है वक़्त को मरहम बनाना सीख लोजिंदगी ज़ख्मों से भरी है वक़्त को मरहम बनाना सीख लोहारना तो मौत के सामने है फिलहाल जिंदगी से जीतना सीख लो
जिंदगी तुझसे हर कदम पर समझौता क्यों किया जायेजिंदगी तुझसे हर कदम पर समझौता क्यों किया जायेशौक जीने का है मगर इतना भी नहीं कि मर मर कर जिया जायेजब जलेबी की तरह उलझ ही रही है तू ए जिंदगीतो फिर क्यों न तुझे चाशनी में डुबा कर मजा ले ही लिया जाये