हर एक रूह में एक ग़म छुपा लगे हैं मुझेहर एक रूह में एक ग़म छुपा लगे हैं मुझेये ज़िन्दगी तो कोई बद-दुआ लगे है मुझेजो आँसू में कभी रात भीग जाती हैबहुत क़रीब वो आवाज़-ए-पा लगे है मुझेमैं सो भी जाऊँ तो मेरी बंद आँखों मेंतमाम रात कोई झाँकता लगे है मुझेमैं जब भी उस के ख़यालों में खो सा जाता हूँवो ख़ुद भी बात करे तो बुरा लगे है मुझेमैं सोचता था कि लौटूँगा अजनबी की तरहये मेरा गाँव तो पहचाना सा लगे है मुझेबिखर गया है कुछ इस तरह आदमी का वजूदहर एक फ़र्द कोई सानेहा लगे है मुझे