बिछड़ा है जो एक बार तोबिछड़ा है जो एक बार तो..बिछड़ा है जो एक बार तो मिलते नहीं देखाइस ज़ख़्म को हमने कभी सिलते नहीं देखाइस बार जिसे चाट गई धूप की ख़्वाहिशफिर शाख़ पे उस फूल को खिलते नहीं देखायक-लख़्त गिरा है तो जड़ें तक निकल आईंजिस पेड़ को आँधी में भी हिलते नहीं देखाकाँटों में घिरे फूल को चूम आयेगी तितलीतितली के परों को कभी छिलते नहीं देखाकिस तरह मेरी रूह हरी कर गया आख़िरवो ज़हर जिसे जिस्म में खिलते नहीं देखा
वो ज़हर देकर मारते तो दुनिया की नज़र में आ जातेवो ज़हर देकर मारते तो दुनिया की नज़र में आ जातेअंदाजे कत्ल तो देखो मोहब्बत करके हमसे शादी ही कर ली
हमें पता था की उसकी मोहब्बत के जाम में ज़हर हैहमें पता था की उसकी मोहब्बत के जाम में ज़हर हैपर उसका पिलाने का अंदाज़ ही इतना प्यारा था की हम ठुकरा न सके!