तू हवा के रुख पे चाहतों का दिया जलाने की ज़िद न करतू हवा के रुख पे चाहतों का दिया जलाने की ज़िद न करये क़ातिलों का शहर है यहाँ तू मुस्कुराने की ज़िद न कर