जिनके राहों में हमने बिछाये थे सितारेजिनके राहों में हमने बिछाये थे सितारेउनसे कहते हैं हरपाल आंसुओं के सहारेहो गए हैं सारे शिकवे कितने किनारेमगर फिर भी क्यों वो हुए ना हमारे
जो नजर से गुजर जाया करते हैंजो नजर से गुजर जाया करते हैंवो सितारे अक्सर टूट जाया करते हैंकुछ लोग दर्द को बयां नहीं होने देतेबस चुपचाप बिखर जाया करते हैं
रात क्या ढली सितारे चले गएरात क्या ढली सितारे चले गएगैरों से क्या शिकायत जब हमारे चले गएजीत सकते थे हम भी इश्क़ की बाज़ीपर उनको जिताने की धुन में हम हारे चले गए
गर्दिश में सितारे होतें हैं!गर्दिश में सितारे होतें हैंसब दूर किनारे होतें हैंयूँ देख के यादों की लहरेंहम बैठ किनारे रोते हैं