यार था गुलज़ार थायार था गुलज़ार था..यार था गुलज़ार था बाद-ए-सबा थी मैं न थालायक़-ए-पा-बोस-ए-जाँ क्या हिना थी, मैं न थाहाथ क्यों बाँधे मेरे छल्ला अगर चोरी हुआये सरापा शोख़ी-ए-रंग-ए-हिना थी, मैं न थामैंने पूछा क्या हुआ वो आप का हुस्न्-ओ-शबाबहँस के बोला वो सनम शान-ए-ख़ुदा थी, मैं न थामैं सिसकता रह गया और मर गये फ़रहाद-ओ-क़ैसक्या उन्हीं दोनों के हिस्से में क़ज़ा थी, मैं न था
न जाओ हाल-ए-दिल-ए-ज़ार देखते जाओन जाओ हाल-ए-दिल-ए-ज़ार देखते जाओकि जी न चाहे तो नाचार देखते जाओबहार-ए-उमर् में बाग़-ए-जहाँ की सैर करोखिला हुआ है ये गुलज़ार देखते जाओउठाओ आँख, न शरमाओ ,ये तो महिफ़ल हैग़ज़ब से जानिब-ए-अग़यार देखते जाओहुआ है क्या अभी हंगामा अभी कुछ होगाफ़ुगां में हश्र के आसार देखते जाओतुम्हारी आँख मेरे दिल से बेसबब-बेवजहहुई है लड़ने को तय्यार देखते जाओन जाओ बंद किए आँख रहरवान-ए-अदमइधर-उधर भी ख़बरदार देखते जाओकोई न कोई हर इक शेर में है बात ज़रूरजनाबे-दाग़ के अशआर देखते जाओ