अर्ज़ किया है चुप-चाप चल रहा था मैं मंज़िल की ओरअर्ज़ किया है चुप-चाप चल रहा था मैं मंज़िल की ओरफिर ठेके पर नज़र पड़ी और हम गुमराह हो गए
मंज़िलों से ही गुमराह कर देते हैं कुछ लोगमंज़िलों से ही गुमराह कर देते हैं कुछ लोगहर किसी से रास्ता पूछना अच्छा नहीं होता।
मंज़िलों से गुमराह भी मंज़िलों से गुमराह भी ,कर देते हैं कुछ लोगहर किसी से रास्ता पूछना अच्छा नहीं होता