उनसे शिकवे और शिकायत इतनी है कि नजरें मिलाने को मन नही करताउनसे शिकवे और शिकायत इतनी है कि नजरें मिलाने को मन नही करताऔर मोहब्बत इतनी कि दूर जाने को दिल नही करता
न ख्वाहिशें हैं न शिकवे हैं अब न ग़म हैं कोईन ख्वाहिशें हैं न शिकवे हैं अब न ग़म हैं कोईये बेख़ुदी भी कैसे कैसे ग़ुल खिलाती है
जो दिल में शिकवे कम और जुबान पर शिकायतें कम रखते हैंजो दिल में शिकवे कम और जुबान पर शिकायतें कम रखते हैं वही लोग हर रिश्ता निभाने का दम रखते हैं