इश्क पर ज़ोर नहीं है ये वो आतिश 'ग़ालिब'इश्क पर ज़ोर नहीं है ये वो आतिश 'ग़ालिब'जो लगाये न लगे और बुझाये न बने
क्या बताए ग़ालिब वो गुस्से में भी हम पे रहम कर गईक्या बताए ग़ालिब वो गुस्से में भी हम पे रहम कर गईलगाया कस के चांटा और सर्दी में गाल गरम कर गई