अब भी ताज़ा हैं जख्म सीने मेंअब भी ताज़ा हैं जख्म सीने में;बिन तेरे क्या रखा हैं जीने मेंहम तो जिंदा हैं तेरा साथ पाने कोवर्ना देर कितनी लगती हैं जहर पीने में
जख्म बन जाने की आदत है उन्हेंजख्म बन जाने की आदत है उन्हेंरुला कर मुस्कुराने की आदत है उन्हेंमिलेंगे कभी तो खूब रुलाएंगेसुना हैं रोते हुए लिपट जाने की आदत है उन्हें