रात की गहराई आँखों में उतर आईरात की गहराई आँखों में उतर आईकुछ ख्वाब थे और कुछ मेरी तन्हाईये जो पलकों से बह रहे हैं हल्के हल्केकुछ तो मजबूरी थी कुछ तेरी बेवफाई
रात की गहराई आँखों में उतर आईरात की गहराई आँखों में उतर आईकुछ ख्वाब थे और कुछ मेरी तन्हाईये जो पलकों से बह रहे हैं हल्के हल्केकुछ तो मजबूरी थी कुछ तेरी बेवफाई
आँखों की गहराई को समझ नहीं सकतेआँखों की गहराई को समझ नहीं सकतेहोंठों से हम कुछ कह नहीं सकतेकैसे बयाँ करें हम यह हाल-ए-दिल आपकोकि तुम्हीं हो जिसके बगैर हम रह नहीं सकते
आँखों की गहराई को समझ नहीं सकतेआँखों की गहराई को समझ नहीं सकतेहोंठों से हम कुछ कह नहीं सकतेकैसे बयाँ करें हम यह हाल-ए-दिल आपकोकि तुम्हीं हो जिसके बगैर हम रह नहीं सकते