किस फ़िक्र किस ख्याल में खोया हुआ सा हैकिस फ़िक्र किस ख्याल में खोया हुआ सा हैदिल आज तेरी याद को भूला हुआ सा हैगुलशन में इस तरह कब आई थी फसल-ए-गुलहर फूल अपनी शाख से टूटा हुआ सा हैशब्दार्थफसल-ए-गुल = बहार का मौस
इसी ख्याल से गुज़री है शाम-ए-दर्द अक्सरइसी ख्याल से गुज़री है शाम-ए-दर्द अक्सरकि दर्द हद से जो गुज़रेगा मुस्कुरा दूंगा
कुछ लोग भूल कर भी भुलाये नहीं जातेकुछ लोग भूल कर भी भुलाये नहीं जातेऐतबार इतना है कि आजमाये नहीं जातेहो जाते हैं दिल में इस तरह शामिल किउनके ख्याल दिल से मिटाये नहीं जाते
तस्वीर में ख्याल होना तो लाज़मी सा हैतस्वीर में ख्याल होना तो लाज़मी सा हैमगर एक तस्वीर है, जो ख्यालों में बनी हैग़ालिब मिर्ज़ा
जब कोई ख्याल दिल से टकराता हैजब कोई ख्याल दिल से टकराता हैदिल ना चाह कर भी, खामोश रह जाता हैकोई सब कुछ कहकर, प्यार जताता हैकोई कुछ ना कहकर भी, सब बोल जाता है
ना मैं ख्याल में तेरे ना मैं गुमान में हूँना मैं ख्याल में तेरे ना मैं गुमान में हूँयकीन दिल को नहीं है कि इस जहान में हूँखुदाया रखियेगा दुनिया में सरफ़राज़ मुझेमैं पहले इश्क़ के, पहले इम्तिहान में हूँ