पंखों को खोल कि ज़माना सिर्फ उड़ान देखता हैपंखों को खोल कि ज़माना सिर्फ उड़ान देखता है;यूँ जमीन पर बैठकर, आसमान क्या देखता है...
हर बार दिल से ये पैगाम आएहर बार दिल से ये पैगाम आएज़ुबाँ खोलूं तो तेरा ही नाम आएतुम ही क्यूँ भाए दिल को क्या मालूमजब नज़रों के सामने हसीन तमाम आए