कागज मेँ लिपटी रोटियाँ मै खाऊँ भी तो कैसे कागज मेँ लिपटी रोटियाँ मै खाऊँ भी तो कैसे खून से लथपथ आते है अखबार भी आजकल
वो बेगानो में अपनेवो बेगानो में अपने, हम अपनों में अंजान लगते हैंहमारे खून की कीमत नहीं, उनके अश्कों के भी दाम लगते हैं