हवा में फिरते हो क्या हिर्स और हवा के लिएहवा में फिरते हो क्या हिर्स और हवा के लिएग़ुरूर छोड़ दो ऐ ग़ाफ़िलो ख़ुदा के लिएगिरा दिया है हमें किस ने चाह-ए-उल्फ़त मेंहम आप डूबे किसी अपने आशना के लिएजहाँ में चाहिए ऐवान ओ क़स्र शाहों कोये एक गुम्बद-ए-गर्दूं है बस गदा के लिएवो आईना है के जिस को है हाजत-ए-सीमाबइक इज़्तिराब है काफ़ी दिल-ए-सफ़ा के लिएतपिश से दिल का हो क्या जाने सीने में क्या हालजो तेरे तीर का रोज़न न हो हवा के लिएजो हाथ आए 'ज़फ़र' ख़ाक-पा-ए-फ़ख़रूद्दीनतो मैं रखूँ उसे आँखों के तूतया के लिए
क्या कुछ न किया और हैं क्या कुछ नहीं करतेक्या कुछ न किया और हैं क्या कुछ नहीं करतेकुछ करते हैं ऐसा ब-ख़ुदा कुछ नहीं करतेअपने मर्ज़-ए-ग़म का हकीम और कोई हैहम और तबीबों की दवा कुछ नहीं करतेमालूम नहीं हम से हिजाब उन को है कैसाऔरों से तो वो शर्म ओ हया कुछ नहीं करतेगो करते हैं ज़ाहिर को सफ़ा अहल-ए-कुदूरतपर दिल को नहीं करते सफ़ा कुछ नहीं करतेवो दिल-बरी अब तक मेरी कुछ करते हैं लेकिनतासीर तेरे नाले दिला कुछ नहीं करतेकरते हैं वो इस तरह 'ज़फ़र' दिल पे जफ़ाएँज़ाहिर में ये जानो के जफ़ा कुछ नहीं करते