इस अहद में इलाहीइस अहद में इलाही..इस अहद में इलाही मोहब्बत को क्या हुआछोड़ा वफ़ा को उन्ने मुरव्वत को क्या हुआउम्मीदवार वादा-ए-दीदार मर चलेआते ही आते यारों क़यामत को क्या हुआबख्शिश ने मुझ को अब्र-ए-करम की किया ख़िजलए चश्म-ए-जोश अश्क-ए-नदामत को क्या हुआजाता है यार तेग़ बकफ़ ग़ैर की तरफ़ए कुश्ता-ए-सितम तेरी ग़ैरत को क्या हुआ
ए वाइज़-ए-नादाँ करता है तू एक क़यामत का चर्चाए वाइज़-ए-नादाँ करता है तू एक क़यामत का चर्चायहाँ रोज़ निगाहें मिलती हैं, यहाँ रोज़ क़यामत होती है