दर्द अपनाता हैदर्द अपनाता है..दर्द अपनाता है पराए कौनकौन सुनता है और सुनाए कौनकौन दोहराए वो पुरानी बातग़म अभी सोया है जगाए कौनवो जो अपने हैं क्या वो अपने हैंकौन दुख झेले आज़माए कौनअब सुकूँ है तो भूलने में हैलेकिन उस शख़्स को भुलाए कौनआज फिर दिल है कुछ उदास उदासदेखिये आज याद आए कौन
हुई है शाम तो आँखों में बस गया फिर तूहुई है शाम तो आँखों में बस गया फिर तूकहाँ गया है मेरे शहर के मुसाफ़िर तूबहुत उदास है इक शख़्स तेरे जाने सेजो हो सके तो चला आ उसी की ख़ातिर तूमेरी मिसाल कि इक नख़्ल-ए-ख़ुश्क-ए-सहरा हूँतेरा ख़याल कि शाख़-ए-चमन का ताइर तूमैं जानता हूँ के दुनिया तुझे बदल देगीमैं मानता हूँ के ऐसा नहीं बज़ाहिर तूहँसी ख़ुशी से बिछड़ जा अगर बिछड़ना हैये हर मक़ाम पे क्या सोचता है आख़िर तू'फ़राज़' तूने उसे मुश्किलों में डाल दियाज़माना साहिब-ए-ज़र और सिर्फ़ शायर तू
ना वो आम रहे ना हम ख़ास रहेना वो आम रहे ना हम ख़ास रहेजाने क्यों आंसू पीकर भी हमें प्यास रहेसारी दुनियां मुस्कुराती है दोस्तों मगरदिल हमारा हमेशा ही उदास रहे
कोई वादा नही फिर भी प्यार हैकोई वादा नही फिर भी प्यार हैजुदाई के बावजूद भी हमें तुमसे प्यार हैतेरे चेहरे की उदासी दे रही है गवाहीमुझसे बिछड़ कर तू भी बेकरार है