कितना और बदलूं खुद को जिंदगी जीने के लिएकितना और बदलूं खुद को जिंदगी जीने के लिएऐ जिंदगी, मुझको थोडा सा... मुझमे बाकी रहने दे
जिंदगी ज़ख्मों से भरी है वक़्त को मरहम बनाना सीख लोजिंदगी ज़ख्मों से भरी है वक़्त को मरहम बनाना सीख लोहारना तो मौत के सामने है फिलहाल जिंदगी से जीतना सीख लो
जिंदगी ने मेरे मर्ज का एक बढ़िया इलाज़ बतायाजिंदगी ने मेरे मर्ज का एक बढ़िया इलाज़ बतायावक्त को दवा कहा और ख्वाहिशों का परहेज बताया
बारिश में रख दो इस जिंदगी के पन्नों कोबारिश में रख दो इस जिंदगी के पन्नों को, ताकि धुल जाए स्याहीज़िन्दगी फिर से लिखने का मन करता है कभी-कभी
जिंदगी तुझसे हर कदम पर समझौता क्यों किया जायेजिंदगी तुझसे हर कदम पर समझौता क्यों किया जायेशौक जीने का है मगर इतना भी नहीं कि मर मर कर जिया जायेजब जलेबी की तरह उलझ ही रही है तू ए जिंदगीतो फिर क्यों न तुझे चाशनी में डुबा कर मजा ले ही लिया जाये
रास्ते कहाँ खत्म होते हैं जिंदगी के इस सफर मेंरास्ते कहाँ खत्म होते हैं जिंदगी के इस सफर मेंमंजिल तो वही है जहाँ ख्वाहिशें थम जायें