तुम्हारे चाँद से चेहरे पे ग़म अच्छे नहीं लगतेतुम्हारे चाँद से चेहरे पे ग़म अच्छे नहीं लगतेहमें कह दो चले जाओ जो हम अच्छे नहीं लगतेहमें वो ज़ख्म दो जाना जो सारी उम्र ना भर पायेंजो जल्दी भर के मिट जाएं वो ज़ख्म अच्छे नहीं लगते
फलक से चाँद उतारा गयाफलक से चाँद उतारा गयामेरी आस का एक सहारा गयामैं दो बूँद पानी तरसती रहीमेरे होंठों से ज़हर गुज़ारा गया
वो भी आधी रात को निकला और मैं भीवो भी आधी रात को निकला और मैं भीफिर क्यों उसे चाँद और मुझे आवारा कहते हैं लोग
ऐ चाँद जाऐ चाँद जा, क्यों आया है अब मेरी चौखट परछोड़ गया है वो शख्स, जिसकी याद में तुम्हें देखा करते थे
वो चाँद है मगर आप से प्यारा तो नहींवो चाँद है मगर आप से प्यारा तो नहींपरवाने का शमा के बिन गुजारा तो नहींमेरे दिल ने सुनी है एक मीठी सी आवाज़कहीं आपने मुझे पुकारा तो नहीं
चाँद के बिना अँधेरी रात रह जाती हैचाँद के बिना अँधेरी रात रह जाती हैसाथ कुछ हसीन मुलाकात रह जाती हैसच है जिंदगी कभी रूकती नहींबस वक़्त निकल जाता है और याद रह जाती है