इश्क़ करो तो ये भी सोचोइश्क़ करो तो ये भी सोचो..इश्क़ करो तो ये भी सोचो अर्ज़-ए-सवाल से पहलेहिज्र की पूरी रात आती है सुब्ह-ए-विसाल से पहलेदिल का क्या है दिल ने कितने मंज़र देखे लेकिनआँखें पागल हो जाती है एक ख़याल से पहलेकिस ने रेत उड़ाई शब में आँखें खोल के रखीकोई मिसाल तो होना उस की मिसाल से पहलेकार-ए-मोहब्बत एक सफ़र है इस में आ जाता हैएक ज़वाल-आसार सा रस्ता बाब-ए-कमाल से पहलेइश्क़ में रेशम जैसे वादों और ख़्वाबों का रस्ताजितना मुमकिन हो तय कर लें गर्द-ए-मलाल से पहले
इश्क़ को तक़लीद सेइश्क़ को तक़लीद से..इश्क़ को तक़लीद से आज़ाद करदिल से गिरया आँख से फ़रियाद करबाज़ आ ऐ बंदा-ए-हुस्न मिज़ाज़यूँ न अपनी ज़िंदगी बर्बाद करऐ ख़यालों के मकीं नज़रों से दूरमेरी वीराँ ख़ल्वतें आबाद करहुस्न को दुनिया की आँखों से न देखअपनी इक तर्ज़-ए-नज़र ईजाद करइशरत-ए-दुनिया है इक ख़्वाब-ए-बहारकाबा-ए-दिल दर्द से आबाद करअब कहाँ 'एहसान' दुनिया में वफ़ातौबा कर नादाँ ख़ुदा को याद कर
हम जानते तो इश्क़ न करते किसी के साथहम जानते तो इश्क़ न करते किसी के साथले जाते दिल को ख़ाक में इस आरज़ू के साथ
इश्क़ में हमने वही किया जो फूल करते हैं बहारों मेंइश्क़ में हमने वही किया जो फूल करते हैं बहारों मेंखामोशी से खिले, महके और फिर बिखर गए
तुझको पाकर भी न कम हो सकी बेताबि-ए-दिलतुझको पाकर भी न कम हो सकी बेताबि-ए-दिलइतना आसान तिरे इश्क़ गम था भी कहां