वो नकाब लगा कर खुद को इश्क से महफूज़ समझते रहेवो नकाब लगा कर खुद को इश्क से महफूज़ समझते रहेनादां इतना भी नहीं समझते कि इश्क चेहरे से नहीं आँखों से शुरू होता है
तेरे इश्क का बुखार है मुझकोतेरे इश्क का बुखार है मुझकोऔर हर चीज खाने की मनाही हैएक हुस्न के हकीम ने सिर्फतेरे चमन की मौसमी बताई है
मैं भी हुआ करता था वकील इश्क वालों का कभीमैं भी हुआ करता था वकील इश्क वालों का कभीनज़रें उस से क्या मिलीं आज खुद कटघरे में हूँ