वो दर्द ही क्या जो आँखों से बह जाएवो दर्द ही क्या जो आँखों से बह जाएवो खुशी ही क्या जो होठों पर रह जाएकभी तो समझो मेरी खामोशी कोवो बात ही क्या जो लफ्ज़ आसानी से कह जायें