मुद्दत के बाद उसने जो आवाज़ दी मुझेमुद्दत के बाद उसने जो आवाज़ दी मुझेकदमों की क्या बिसात थी, साँसे ठहर गयीं
हाल तो पूछ लू तेरा पर डरता हूँ आवाज़ से तेरीहाल तो पूछ लू तेरा पर डरता हूँ आवाज़ से तेरीज़ब ज़ब सुनी है कमबख्त मोहब्बत ही हुई है