ग़मों से यूँ वो फ़रारग़मों से यूँ वो फ़रार..ग़मों से यूँ वो फ़रार इख़्तियार करता थाफ़ज़ा में उड़ते परिंदे शुमार करता थाबयान करता था दरिया के पार के क़िस्सेये और बात वो दरिया न पार करता थाबिछड़ के एक ही बस्ती में दोनों ज़िंदा हैंमैं उस से इश्क़ तो वो मुझ से प्यार करता थायूँ ही था शहर की शख़्सियतों को रंज उस सेकि वो ज़िदें भी बड़ी पुर-वक़ार करता थाकल अपनी जान को दिन में बचा नहीं पायावो आदमी के जो आहाट पे वार करता थासदाक़तें थीं मेरी बंदगी में जब 'अज़हर'हिफ़ाज़तें मेरी परवर-दिगार करता था
तेरे आज़ाद बन्दों की ना ये दुनिया ना वो दुनियातेरे आज़ाद बन्दों की ना ये दुनिया ना वो दुनियायहाँ मरने की पाबंदी, वहां जीने की पाबंदी!