एक ख़्वाब ने आँखें खोली हैंएक ख़्वाब ने आँखें खोली हैं, क्या मोड़ आया है कहानी मेंवो भीग रही है बारिश में, और आग लगी है पानी में
जिनकी आँखें आँसुओं से नम नहींजिनकी आँखें आँसुओं से नम नहींक्या समझते हो कि उन्हें कोई ग़म नहींतुम तड़प कर रो दिए तो क्या हुआग़म छुपा कर हँसने वाले भी कम नहीं
तलब करे तो मैं अपनी आँखें भी उन्हें देदूतलब करे तो मैं अपनी आँखें भी उन्हें देदूमगर ये लोग मेरी आँखों के ख्वाब मांगते हैं।