कल रोक नहीं पाएकल रोक नहीं पाए..कल रोक नहीं पाए जिसे तीरों-तबर भी;.अब उसको थका देती है इक राहगुज़र भी;इस डर से कभी गौर से देखा नहीं तुझको;कहते हैं कि लग जाती है अपनों की नज़र भी;कुछ मेरी अना भी मुझे झुकने नहीं देती;कुछ इसकी इजाज़त नहीं देती है कमर भी;तुम सूखी हुई शाखों का अफ़सोस न करना;आँधी तो गिरा देती है मजबूत शजर भी;वो मुझसे वहाँ कीमते-जाँ पूछ रहा है;महफूज़ नहीं है जहाँ अल्लाह का घर भी
जो भी बुरा भला हैजो भी बुरा भला है..जो भी बुरा भला है अल्लाह जानता हैबंदे के दिल में क्या है अल्लाह जानता हैये फर्श-ओ-अर्श क्या है अल्लाह जानता हैपर्दों में क्या छिपा है अल्लाह जानता हैजाकर जहाँ से कोई वापिस नहीं है आतावो कौन सी जगह है अल्लाह जानता हैनेक़ी-बदी को अपने कितना ही तू छिपाएअल्लाह को पता है अल्लाह जानता हैये धूप-छाँव देखो ये सुबह-शाम देखोसब क्यों ये हो रहा है अल्लाह जानता हैक़िस्मत के नाम को तो सब जानते हैं लेकिन क़िस्मत में क्या लिखा है अल्लाह जानता है