तुम बिन ज़िंदगी सूनी सी लगती हैतुम बिन ज़िंदगी सूनी सी लगती हैहर पल अधूरी सी लगती हैअब तो इन साँसों को अपनी साँसों से जोड़ देक्योंकि अब यह ज़िंदगी कुछ पल की मेहमान सी लगती है
वो मुलाक़ात कुछ अधूरी सी लगीवो मुलाक़ात कुछ अधूरी सी लगीपास होकर भी कुछ दूरी सी लगीहोंठों पे हँसी आँखों में नमीपहली बार किसी की चाहत ज़रूरी सी लगी
कुछ कह भी दो कुछ सुन भी लोकुछ कह भी दो कुछ सुन भी लोअधूरे लफ्ज़, अधूरे अफ़साने अक्सर कहानी बन जाया करते हैं