तेरी यादों की कोई सरहद होती तो अच्छा होतातेरी यादों की कोई सरहद होती तो अच्छा होताखबर तो होती कि सफ़र कितना तय करना है
मेरी साँसों में बिखर जाओ तो अच्छा होगामेरी साँसों में बिखर जाओ तो अच्छा होगाबन के रूह मेरे जिस्म में उतर जाओ तो अच्छा होगाकिसी रात तेरी गोद में सिर रख के सो जाऊंफिर उस रात की कभी सुबह ना हो तो अच्छा होगा
हमें तो खैर कोई दूसरा अच्छा नहीं लगताहमें तो खैर कोई दूसरा अच्छा नहीं लगताउन्हें खुद भी कोई अपने सिवा अच्छा नहीं लगता
ज़रूरी काम है लेकिन रोज़ाना भूल जाता हूँज़रूरी काम है लेकिन रोज़ाना भूल जाता हूँमुझे तुम से मोहब्बत है मगर जताना भूल जाता हूँतेरी गलियों में फिरना इतना अच्छा लगता हैमैं रास्ता याद रखता हूँ मगर ठिकाना भूल जाता हूँ
क्यों तू अच्छा लगता हैक्यों तू अच्छा लगता है, वक़्त मिला तो सोचेंगेतुझ में क्या क्या देखा है, वक़्त मिला तो सोचेंगेसारा शहर शहंशाही का दावेदार तो है लेकिनक्यों तू हमारा अपना है, वक़्त मिला तो सोचेंगे
क्या अच्छा क्या बुरा क्या भला देखाक्या अच्छा क्या बुरा क्या भला देखाजब भी देखा तुझे अपने रु ब रु देखासोचा बहुत भूल कर ना सोचूंगा तुझेजिस रात आँख लगी फिर तुझे हर ख्वाब में देखा